भारत का पहला पूर्णतः स्वदेशी Geothermal Plant अरुणाचल प्रदेश में विकसित किया जाएगा। 50 किलोवाट का यह संयंत्र 68 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड न्यूनतम तापमान पर विकसित किया जाएगा।
इस संबंध में, पृथ्वी विज्ञान एवं हिमालय अध्ययन केंद्र (CESHS) और श्रीराम औद्योगिक अनुसंधान संस्थान ने एक समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा, "अरुणाचल प्रदेश और CESHS ने 68 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड न्यूनतम तापमान पर भारत का पहला पूर्णतः स्वदेशी 50 किलोवाट भूतापीय विद्युत संयंत्र विकसित करने के लिए एक समझौता पर हस्ताक्षर करके एक दूरदर्शी कदम उठाया है।
CESHS के भूविज्ञान प्रमुख रूपांकर राजखोवा ने
कहा कि यह परियोजना तवांग जिले में स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा, "हमने पहले ही तीन स्थानों - मागो, थिंगबू और दामटेंग -
की पहचान कर ली है और अनुसंधान एवं संरचनात्मक मानचित्रण का काम पूरा हो चुका
है।" उन्होंने आगे कहा कि यह परियोजना 5,000 से अधिक की आबादी को
ऊर्जा प्रदान करेगी।
राजखोवा ने कहा कि इस
परियोजना के तीन वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह हिमालयी
क्षेत्र में अपनी तरह की पहली परियोजना है और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
द्वारा वित्त पोषित 10 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरी
होगी।
एसआईआईआर के भूतापीय परियोजना प्रबंधक भूपेश शर्मा ने कहा कि स्वदेशी द्विध्रुवीय प्रक्रिया प्रौद्योगिकी की परिचालन चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए, विशेष रूप से केवल 68 डिग्री सेल्सियस के कम तापमान पर, 5 किलोवाट के एक छोटे प्रयोगशाला-स्तरीय मॉडल का उपयोग करके कई परीक्षण किए गए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत 2021 में स्थापित, CESHS जलवायु विज्ञान, भूविज्ञान, जल विज्ञान और नवीकरणीय ऊर्जा में अनुसंधान के लिए समर्पित है।
PTI
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